गाय के लिए होगा तीसरा विश्व युद्ध : स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी

मध्य प्रदेश गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड की एग्जिक्युटिव काउंसिल के अध्यक्ष महामंडलेश्व स्वामी अखिलेश्वरानंद ने गाय पर एक अजीबोगरीब बयान दिया है। स्वामी की मानें तो तीसरा विश्व युद्ध गाय पर होगा।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि गाय पर हमेशा से तकरार होती रही है। उन्होंने कहा, ‘मिथकों में भी इसके संदर्भ हैं और 1857 में आजादी की पहली लड़ाई भी गाय पर ही शुरू हुई थी।’
निरंजनी अखाड़े ने मार्च 2010 में स्वामी अखिलेश्वरानंद को महामंडलेश्वर की उपाधि दी थी। पीएम मोदी ने हाल में ही ‘गौरक्षकों’ के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार करते हुए कहा था कि लोग गौरक्षा के नाम पर दुकान खोलकर बैठ गए हैं। पूरी रात असमाजिक कार्यों में लगे रहते हैं और दिन में गौरक्षक का चोला ओढ़ लेते हैं।
स्वामी ने गौरक्षकों का बचाव करते हुए कहा कि मरी या घायल गायों को गाड़ी में बंद देखने के बाद गौरक्षकों का गुस्से में आना जायज़ है। स्वामी अखिलेश्वरानंद के मुताबिक यह गौरक्षकों की भावना से जुड़ा मामला है। हालांकि उन्होंने कहा कि गौरक्षकों को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। पुलिस का इंतजार करना चाहिए।
आपको बता दे कि गुजरात के ऊना में कथित गौरक्षकों द्वारा दलित युवकों की पिटाई के मामले ने तूल पकड़ रखा है।

भाड़ा मांगने पर बदमाशों ने की दलित से मारपीट, शरीर पर किया पेशाब

बिहार। देश भर में दलितों पर होते चोतरफा अत्याचार का नया मामला बिहार के मुजफ्फरपुर से प्रकाश में आया है। जहां पर एक दलित के साथ मारपीट पर उसके शरीर पर थूकने और उस पर पेशाब करने का मामला सामने आया है। दलित पीड़ित का आरोप है कि वह सीमेंट पहुंचाने गया था जिसके बाद उसने किराया मांगा लेकिन बदमाशों ने किराया देने के बजाय घटना को अंजाम दिया। पीड़ित ने रविवार को एससी-एसटी थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए बदमाशों पर थूक फेंकने शरीर पर पेशाब करने का आरोप लगाया है। 

मुजफ्फरपुर के बरूराजथाना क्षेत्र के परसौनीनाथ गांव का छठू रोजीरोटी के लिए ठेला चलाता है। उसके अनुसार 4 दिन पूर्व सुबह में फुलवरिया चौक पर ठेला लगाए हुए था। इसी बीच फुलवरिया गांव के व्यक्ति ने उसे ट्रक से उतारी गई पांच बोरी सीमेंट उसके दरवाजे पर पहुंचाने को कहा। छठू और उस व्यक्ति के बीच 60 रुपए भाड़ा तय हुआ लेकिन वहां पहुंचने पर वे लोग 30 रुपये भाड़ा देने लगे। इसका विरोध करने पर गाली-गलौज कर उसके साथ मारपीट की गई।

छठू का आरोप है कि उसे जमीन पर पटक कर चेहरे और शरीर पर छह लोगों ने थूक दिया। फिर बदमाशों के इशारे पर उसके मुंह शरीर पर पेशाब भी किया गया। घटना के बाद से ही वह अपमानित महसूस कर रहा है। पीड़ित ने बताया कि घटना के बाद आसपास के लोगों के जुटने पर आरोपी वहां से भाग निकला। उसे हत्या की धमकी भी दी गई है।

भूख लगने पर दुकानदार ने दी दलित मासूमों को इतनी बड़ी सजा, जानकर आप भी कांप उठेंगे

नई दिल्ली। अभी गुजरात में हुए दलितों पर अत्याचार की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि एक और मामला सामने आ गया। लगातार दलितों पर होते चोतरफा अत्याचार से जहां एक ओर देश भर में दलितों पर अत्याचार के खिलाफ बुलंद आवाज उठ रही है वहीं दूसरी ओर यूपी में दलितों पर अत्याचार की कहानी खुले आम लिखी जा रही है। मामला है यूपी के पीलीभीत का जहां दो दलित मासूम बच्चों के केवल इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने भूख लगने पर दूकान से मजबूरी में सब्जी उठा ली थी।

लेकिन दुकानदार ने दोनों बच्चों को इस काम की ऐसी सजा दी की देखने वाले भी सन्न रह गए। 10 और 12 साल के इन दोनों मासूमों को दुकानदार ने पहले कड़ी धूप में खंभे से बांधा फिर उनकी जमकर बेरहमी से पीटाई की। दुकानदार ने दोनों बच्चों को इतना पीटा की देखने वाले भी कांप उठे। जब यह वाक्य चल रहा था तभी वहां से गुजर रहे एक राहगीर ने पुलिस को इस बर्बता की जानकारी दी। जिसके बाद इन मासूमों को पुलिस ने आकर छुड़ाया। लेकिन सपा सरकार की  पुलिस ने दुकानदार को मामूली चालान करके छोड़ दिया। इतना ही नहीं पुलिस ने इन दोनों बच्चों को उनके परिजानों तक पहुंचाने तक की जहमत तक नहीं उठाई और उन्हें सड़क पर ही छोड़ कर चले गए।


हैरत की बात तो यह है कि जब यह सब कुछ सरेआम हो रहा था तो वहां पर मौजूद सभी लोग केवल तमाशबीन बन कर खड़े हुए थे। किसी ने भी आगे आकर उन मासूम बच्चों को छुड़ाने की कोशिश तक नहीं की।

हाहाहा अब यह अजीब बात सुने: आरएसएस के गौ सेवा प्रमुख बोले, गाय का गोबर खतम करता है मोबाइल रेडिशन..

अब गाय का गोबर विज्ञान  की बजाय काम करेंगे........
"आगरा और मथुरा के दौरे पर आए आरएसएस के अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख शंकर लाल का मानना है कि गाय के गोबर से मोबाइल का रेडिएशन रोका जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि मोबाइल पर गोबर लगा देने से उसके रेडिशन का प्रभाव नहीं पड़ता है।"


पीएम मोदी के डिजीटल इंडिया की सोच में आरएसएस के एक नेता की ऐसी राय विरोधाभास का जोरदार तड़का लगाती है। शंकर लाल का कहना है कि गाय हमारी माता है। उसकी पेशाब बहुत मूल्‍यवान है। यह लोगों को कई रोगों से बचाती है।
उन्‍होंने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्‍सप्रेस से एक बातचीत में कहा कि अगर गाय के गोबर से कैंसर का इलाज हो सकता है तो वह हमें मोबाइल रेडिएशन से भी बचा सकता है। शंकर लाल ने कहा कि गुजरात के जूनागढ़ में वैज्ञानिक ने गाय की पेशाब में बहुत मूल्‍यवान तत्‍व पाए हैं। शंकर लाल ने कहा कि वह अपने मोबाइल में हर सप्‍ताह ताजा गोबर लगाते हैं। उन्‍होंने कहा कि उनकी टीम के महिला, युवा सहित सभी सदस्‍य अपने मोबाइल में गाय का गोबर लगाते हैं।

शंकर लाल ने कहा कि फोन की हानिकारक किरणें शरीर की ऊर्जा को शोषित कर लेती हैं। मोबाइल पर गोबर लगाकर आदमी अपनी ऊर्जा बचा सकता है।

मुस्लिम भेड़िया,सत्ता का भिखारी: विहिप और हिंदू सेना द्वारा ये शब्द मोदी के लिए उपयोग किया गया उनके बयान को पढ़ने के लिए क्लिक करें

मुस्लिम भेड़िया,सत्ता का भिखारी: विहिप और हिंदू सेना द्वारा ये शब्द मोदी के लिए उपयोग किया गया उनके बयान ..................



मोदी ने वोटो के लियें गौरक्षको का अपमान किया है ,अब चुनाव में हारेंगे -विहिप

पीएम मोदी हिंदूवादी संघठनो के निशाने पे है विहिप ने भी मोदी की आलोचना की है विहिप का दावा गौरक्षको के खिलाफ बयानबाज़ी पर प्रधानमंत्री को 2019 में इसकी कीमत चुकानी होगी।

यह बात आगरा की विश्व हिंदू परिषद की युनिट के उपाध्यक्ष सुनील पाराशर ने कही है। उन्होंने कहा कि मोदी ने ऐसा बयान देकर गौरक्षकों का अपमान किया है।
सुनील ने कहा, ‘हजारों कसाई लाखों गायों को हर साल काट रहे हैं उन्हें गुंडा नहीं बोला गया बल्कि गुंडा गीता रंबिया (जो अहमदाबाद में सालों पहले मारे गए थे) जैसे लोगों को बताया गया। इससे दिखता है कि प्रधानमंत्री मोदी का दिल अब बदल गया है। लेकिन मैं अब भी यही कहूंगा कि पूरे देश में गौ हत्या पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए। मोदी को अगले लोकसभा चुनाव में इसकी कीमत चुकानी ही होगी।’
उन्होंने VHP को बताया गौ रक्षा करने वाला इकलौता संगठन है मीडिया से बातचीत में सुनील ने यह भी दावा किया कि विश्व हिंदू परिषद इकलौता ऐसा संगठन है जो गौ रक्षा के लिए काम कर रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार को एक सर्वे करवाकर यह पता लगाना चाहिए कि कौन सी ‘दुकानें’ ऐसी हैं जो गौरक्षा के नाम पर गाय का मांस बेच रही हैं। सुनील यहीं नहीं रुके, उन्होंने पीएम को यह भी सलाह दे डाली कि वह पाकिस्तान के साथ ज्यादा दोस्ती भरा रिश्ता ना बनाएं। वर्ना केंद्र में उनकी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है।


गौरक्षको के खिलाफ बयानबाज़ी पर हिन्दू सेना ने मोदी को “मुस्लिम भेड़िया” बताया


हिन्दू सेना ने गौरक्षको के खिलाफ पीएम मोदी के बयानों पर अपनी नाराज़गी सोसल मीडिया पे बेहद तीखे शब्दों में दी है ट्विटर पे खुदको हिन्दू सेना का नेता बताने वाले विष्णु गुप्ता ने लिखा है

मोदी ने 24 घंटे मैं दो बार गौरक्षक को गुंडा कहते हुए चेतावनी दी  मोदी का पुतला फूंकेगी,अगर शर्म हो तो,माफ़ी मांगे
विष्णु गुप्ता ने कहा की मोदी को सत्ता का नशा है वो हिंदुत्व का चोगा ओढ़े एक मुसलमान भेड़िया है जो इस्लाम को तो शांति का मजहब बताता है पर गौरक्षको को रात का अपराधी
उन्होंने कहा कि बीजेपी के राज्य राजस्थान में रोजाना 30 गाय सरकारी गौशाला में ही मर रही है साफ़ है नरेंद्र मोदी ना देश में गौरक्षा का कानून बना रहे है और ना ही बीजेपी को गाय की कोई फ़िक्र है।

लेकिन याद रहे इन सब एक ही हैं ....



भाजपा, कांग्रेस , आम आदमी पार्टी , बसपा और सब एक ही हैं;गर्भवती महिलाओं की दवा ही डकार गई मायावती सरकार


भाजपा, कांग्रेस , आम आदमी पार्टी , बसपा और सब एक ही हैं


दलितों और पिछड़ों की मसीहा बनने वाली यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपनी सरकार के कार्यकाल में बिरादरी की गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्शा. दरअसल नेशनल हेल्थ मिशन (NRHM ) के तहत राज्य की गरीब महिलाओं को भेजी जाने वाली दवाइयों के नाम पर करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा किया. जिसके चलते गांव की दलित और पिछड़ी जाति की गरीब महिलाओं को सरकार के प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों से मुफ्त में बांटी जाने वाली दवाइयां ही नहीं दी गयी.

आयरन फोलिक टेबलेट ही नहीं खरीदी

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने देश की गरीब जनता के तहत अपनी नेशनल हेल्थ मिशन योजना चला रखी है. जिसका मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं में पायी जाने वाली एनिमा की कमी को दूर करने के लिए आयरन फोलिक टेबलेट ‘ IFA ‘ ख़रीदे जाने का जो बजट राज्य सरकार को भेजा था. उसकी खरीद सिर्फ कागजों पर ही की गयी. जिसके चलते दलित और पिछड़ी जाति की गर्भवती महिलाओं को मायावती के ही कार्यकाल में मुफ्त में दी जाने वाली दवाइयां ही नहीं बांटी गयीं.



सूत्रों के मुताबिक महिलाओं को बांटी जाने वाली यह दवा गर्भवती महिलाओं को इस लिए डॉ खाने को बोलते हैं ताकि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ्य रहें. बताया जाता है कि बसपा की सरकार के राज में मायावती के सबसे करीबी मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा ने अपने चहेती कंपनियों से इस दवा को खरीदने के नाम पर सूबे के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को बिना दवा लिए ही भुगतान करने के आदेश फोन पर दे दिए. नतीजतन कागजों की लिखा-पढ़ी में तो दवा खरीदी गयी, लेकिन गांव की गरीब गर्भवती दलित और पिछड़ी महिलाओं को दवा बांटी ही नहीं गयी.

‘वेश्या’, ‘हरामजादा’… ये है इन भाजपा नेताओं की भाषा सभी बयानों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...


हालांकि यह पहली बार नहीं हैं जब भाजपा के किसी नेता की ओछी टिप्पणी या बयानबाजी के चलते पार्टी को शर्मिंदा होना पड़ा हो। पढ़िए इससे पहले कब-कब हुआ ऐसा


विवादित बयान देने में आगे रहने वाले भाजपा सांसद।
भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह का एक बयान पार्टी के लिए गले की हड्डी बन गया। दरअसल उन्होंने बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती की तुलना वेश्या से कर दी। सिंह ने कहा कि मायावती पैसे लेकर टिकट बांटती हैं और वह सेक्स वर्कर्स से भी ज्यादा बद्तर महिला हैं। सिंह ने कहा कि मायावती अपने ग्राहकों के प्रति ज्यादा वफादार हैं। यह मुद्दा राज्य राज्यसभा में जमकर गूंजा और सिंह की गिरफ्तारी की मांग की गई। भाजपा ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल दयाशंकर को पद से हटा दिया और शाम होते-होते उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित भी कर दिया। सिंह के बयान की सभी राजनैतिक दलों ने एक सुर से निंदा की थी। खुद प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह के निर्देश पर सिंह को उत्‍तर प्रदेश भाजपा के उपाध्‍यक्ष पद समेत पार्टी के सभी पदों से मुक्‍त कर दिया गया है। यही नहीं, पार्टी ने सिंह को 6 साल के लिए सस्‍पेंड भी किया है।
मायावती पर अभद्र टिप्‍पणी को लेकर बुधवार को संसद में खूब हंगामा मचा। बयान की जानकारी मिलते ही राज्‍यसभा में मायावती ने पुरजोर तरीके से अपना पक्ष रखा। उन्‍होंने चेतावनी भी दी थी कि अगर ‘इस मामले पर किसी तरह की हिंसा भड़कती है तो बसपा या वे उसे रोक नहीं पाएंगी।’ हालांकि यह पहली बार नहीं हैं जब भाजपा के किसी नेता की ओछी टिप्पणी या बयानबाजी के चलते पार्टी को शर्मिंदा होना पड़ा हो। पार्टी के बयान बहादुरों में साध्वी निरंजन ज्योति, योगी आदित्यनाथ, साक्षी महाराज और ऐसे कई चेहरे शामिल हैं। आइए आपको बताते हैं कि इन बयानवीरों और उनके तीखे बयानों के बारे में:
साध्वी निरंजन ज्योति-

पश्चिमी दिल्ली के श्यामनगर में वोटरों को संबोधित करते हुए इस केंद्रीय मंत्री ने एक बार कहा था, “आपको तय करना है कि दिल्ली में सरकार रामजादों की बनेगी या हरामजादों की। यह आपका फैसला है।” इस बयान के बाद विपक्षी दलों की ओर से जमकर आवाज उठाई गई थी और मोदी पर अपने मंत्रियों को उनके ओछे बयानों को लेकर नहीं टोकने के आरोप भी लगे थे।
योगी आदित्यनाथ-

यूपी के गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ हिंदू विचारधार के अग्रणी नेता हैं। योगी बॉलीवुड के स्टार अभिनेता शाहरुख खान की तुलना आतंकी हाफिज सईद से करने और उन्हें पाकिस्तान भेजने की मांग किए जाने को लेकर चर्चा में आए थे। उन्होंने शाहरुख को धमकाने वाले अंदाज में कहा था कि शाहरुख को याद रखना चाहिए कि उन्हें स्टार बनाने वाली भीड़ यदि उनकी फिल्मों का बहिष्कार कर दे तो उन्हें भी किसी आम मुसलमान की तरह सड़कों पर भटकना पड़ेगा। योगी ने शाहरुख के लिए कहा था कि मैं कह रहा हूं कि यह लोग आतंकियों की भाषा बोलते हैं।
साक्षी महाराज-

यूपी के उन्नाव जिले से सांसद साक्षी महाराज ने लव जिहाद का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि मदरसे इस देख में आतंकवादी बना रहे हैं। उनके छात्र हिंदू लड़कियों से शादी कर रहे हैं। ताकि वह इस देश में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ा सकें। साक्षी महाराज ने 2015 में मेरठ में हिंदू महिलाओं से अपील की थी कि वह कम से कम 4 हिंदू बच्चे पैदा करें। ताकि भारत में हिंदू धर्म को बचाया जा सके। इसके अलावा साक्षी ने घर वापसी अभियान का पक्ष लेते हुए कहा था कि गौहत्या करने वालों को मौत की सजा होनी चाहिए।
साध्वी प्राची-

कट्टर हिंदू नेता की छवि वाली यह नेता यूं तो अपने बयानों को लेकर अक्सर विवादों में घिरी रहती हैं। लेकिन उन्होंने हाल में बयान दिया था कि मुस्लिम धर्म उपदेशक डॉ. जाकिर नायक का सर काट कर लाने वाले को 50 लाख रुपए का इनाम देंगी। उनके इस बयान की भारी निंदा हुई थी। प्राची ने कहा था कि भारत को एक मुस्लिम मुक्त राज्य बनाने का वक्त आ गया है। साथ ही साध्वी ने एक बार यह भी आरोप लगाए थे कि बॉलीवुड स्टार शाहरुख और सलमान खान की फिल्में सांप्रदायिक माहौल खराब करने का काम करती हैं।
दयाशंकर सिंह-

भाजपा के प्रान्तीय अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, दयाशंकर सिंह को उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है।
सिंह का मामला वर्तमान में काफी चर्चा में है। उन्होंने कहा कि ”मायावती किसी वेश्या की तरह टिकट बेच रही हैं। वह एक करोड़ रुपए में टिकट बेच देती हैं, लेकिन उसी दौरान यदि कोई 2 करोड़ देने को राजी हो जाता है तो वह घंटे भर के भीतर उस 2 करोड़ वाले को टिकट बेच देती हैं। और शाम तक यदि कोई 3 करोड़ देने वाला आ गया तो वह उसे टिकट दे देती हैं। वह एक वेश्या से भी बदतर महिला हैं।”

दलित अत्याचार के खिलाफ अहमदाबाद से ऊना तक ऐतिहासिक ''आजादी कूच'' शुरू

अहमदाबाद। गुजरात के ऊना में दलित अत्याचार के विरोध में उठी विरोध की लहर अब अंबेडकर लहर बन चुकी है। यहां से भारी संख्या में दलित, आदिवासी, पिछड़े और मुस्लिम समुदाय के लोग ऐतिहासिक आजादी ''कूच'' के अंतर्गत ऊना रवाना हुए। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेपथ्य में यह दल दस दिवसीय पैदल मार्च कर स्वतंत्रता दिवस पर दूसरी आजादी का नीला परचम फहराएगा। 

रिपोर्टर निसार सिद्दीकी ने यहां से बताया कि इस इनमें मुस्लिम समुदाय की भारी भागीदारी है। रास्ते में मुस्लिम समुदाय इन लोगों पर फूल बरसा रहा है। ये लोग उस गुजरात मॉडल से भी आजादी चाहते हैं जो दलितों को बेरहमी से पीटता है। 5 अगस्त से शुरू हुई इस यात्रा का अंतिम पड़ाव 15 अगस्त को ऊना में होगा। यह होगा देश की आजादी के दिन आजादी की घोषणा का दिन पंद्रह अगस्त... इन्हीं तमाम बर्बरताओं से...!

इस यात्रा में आईपीएस राहुल शर्मा भी शामिल हुए हैं। उन्होंने निसार सिद्दीकी को बताया कि पूरे गुजरात में दलितों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया जाता है। पुलिस अधिकारी होने के बावजूद वे इस मार्च में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह पीड़ितों को थाने के सामने बुरी तरह पीटा गया वह वाकई कई तरह के सवाल खड़ा करता है। पुलिस की लापरवाही और दलितों के प्रति नफरत भी इस घटना से सामने आई है। राहुल शर्मा खुद ऊना तक मार्च में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ऊना की घटना वाकई बर्बरतापूर्ण है। 

एक और हिंदू पुजारी का गिरा हुआ हरकत हरियाणा में किशोरी के साथ बलात्कार के आरोप में तांत्रिक गिरफ्तार

हिंदू धर्म की गंदगी;

चंडीगढ़: हरियाणा पुलिस ने गुड़गांव में 19 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार करने के आरोप में एक तांत्रिक को गिरफ्तार किया है जो एक पंचायत समिति का पूर्व अध्यक्ष भी है। पुलिस विभाग के एक प्रवक्ता ने बुधवार को इस बाबत जानकारी दी।


पीड़िता द्वारा 31 जुलाई को दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार सदर गुड़गांव थाना क्षेत्र में रहने वाली लड़की को उसके माता-पिता एक रोग के इलाज के लिए गुड़गांव जिले के सोहना में तांत्रिक के पास ले गये जिसने रोग ठीक करने का झांसा देकर कई बार उसका यौन शोषण किया।





                                                                                                                     
तांत्रिक पंचायत समिति का पूर्व अध्यक्ष भी है
पीड़िता द्वारा 31 जुलाई को दर्ज कराई गई शिकायत
इसके पास परिजन लड़की का इलाज कराने के लिए ले गए थे

RSS बच्चो का शुद्दीकरण के नाम पे पैसे देकर धर्मपरिवर्तन कराता है :कोबरा पोस्ट




कोबरापोस्ट ने की एक एक्सक्लूजिव इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट में चौकाने वाल खुलासा किया गया कि कई वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बड़े पैमाने पर बच्चों का धर्मांतरण करा रहा हैं.

कोबरापोस्ट ने अपनी इस इन्वेस्टीगेशन में खुलासा किया है कि RSS ने असम से लाई गई 31 गरीब और आदिवासी नाबालिग लड़कियों को शिक्षा के नाम पर लाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया है.


कोबरा पोस्ट की जांच में 31 आदिवासी अल्पसंख्यक बच्चों का धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश का मामला सामने आया है. ये घटना जून की है जब असम के आदिवासी क्षेत्रों से बच्चों को गुजरात और राजस्थान लाया गया जहां उन्हें RSS के स्कूल में लाया गया.

सेवा भारती नाम की RSS से जुडी एक संस्था की दो औरतों को 11 जून के रोज़ 31 बच्चों के साथ पकड़ लिया गया, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इन बच्चों को इस गिरोह के चंगुल छुडा लिया.


कोबरा पोस्ट ने लेकिन अपनी जांच में पाया है कि ऑपरेशन “शुद्धीकरण” नाम की इनकी कोई प्रक्रिया है जिसके ज़रिये ये ग़रीब बच्चों को अपने आश्रम में लाते हैं और उन्हें पूरी चालाकी से हिन्दू बनाया जाता है.
इस मामले में ज़्यादातर लड़कियों को लाया जाता है जिसके लिए उनके माँ-बाप को पैसे भी दिए जाते हैं.

भाजपा नेता ने अपनी चाची का किया रेप ,शर्मसार चाचा ने ख़ुदकुशी की



भाजपा की यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता अनिकेत चौरसिया ने इंसानियत को शर्मसार करने वाला काम किया है इस नेता पे अपनी ही चाची का कई बार रेप करने का इलज़ाम है ।

जब पीड़ित महिला ने अपने पति यानी कि दुष्कर्म करने वाले चाचा से कहा तो चाचा ने शर्मसार होकर ख़ुदकुशी कर ली ।पुलिस ने नेताजी को गिरफ्तार कर जिला अदालत में पेश किया।
अदालत ने भाजयुमो नेता को जेल भेज दिया है। पुलिस ने धारा 164 के तहत पीड़ित महिला के बयान अदालत के सामने दर्ज कराए।
उपरोक्त जानकारी देते हुए लार्डगंज पुलिस ने बताया कि गेट नंबर एक रानीताल में रहने वाला भाजयुमो नेता अनिकेत चौरसिया अपनी चाची से ज़बरदस्ती अवैध संबंध बनाए हुए था। इसके चलते उसके चाचा पप्पू चौरसिया ने भेड़ाघाट से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

वही अनिकेत के पिता ने कहा -मेरा बेटा निर्दोष है

अनिकेत के पिता दिलीप चौरसिया का कहना है कि जिस महिला ने दुराचार का आरोप उनके लड़के पर लगाया है उसने 2 फरवरी 2016 को लार्डगंज थाने और यादव कालोनी चौकी में शपथ पत्र दिया था जिसमें महिला ने लिखा था कि उसका पति सास और ननद उसकी चरित्र हत्या कर रहे हैं।
उस पर झूठा आरोप लगाया जा रहा है कि उसके भतीजे अनिकेत से अवैध संबंध है। जबकि यह गलत है। महिला ने यह भी साफ लिखा था कि भविष्य में कोई अनहोनी होती है तो उसके लिये मैं और मेरा भतीजा नहीं बल्कि मेरे पति, सास और ननद जवाबदार होंगे।
अनिकेत ने भी 10 फरवरी 16 को यादव कालोनी चौकी में शिकायत की थी उसके चाचा पवन चौरसिया उसे झूठा फंसाने की धमकी देते हैं और उस पर झूठा आरोप लगाते हैं कि उसकी पत्नी के उसके साथ अवैध संबंध हैं।
उसके चाचा उसे धमकी देते थे कि वह तिलवारा से कूद कर आत्म हत्या कर लेगा उसे झूठा फंसा देगा। पिछले दिनों अतिक्रमण कार्यवाही में चाचा का पान का टपरा हट गया जिससे उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया और उसने आत्म हत्या कर ली।

ऊना से लेकर लखनऊ तक गाय के नाम पर दलित हिंसा, संघ की सुनियोजित साजिश


































रिहाई मंच ने लखनऊ के तकरोही के चंदन गांव में मरी गाय को ले जा रहे दो दलित कर्मचारियों को अराजक तत्वों द्वारा मारने-पीटने की घटना को देश में हो रही दलित हिंसा का एक और ताजा उदाहरण बताया।

मंच ने कहा कि जिस तरीके से पिछले दिनों मैनपुरी में 15 रुपए के लिए दलित दंपत्ति भारत व ममता को अशोक मिश्रा द्वारा कुल्हाड़ी से मार डाला गया और अब राजधानी में दलितों पर हमला साफ करता है कि अखिलेश सरकार हत्यारे सामंती तत्वों का खुला संरक्षण कर रही है।
रिहाई मंच नेता अमित मिश्रा व रिहाई मंच लखनऊ महासचिव शकील कुरैशी ने जारी बयान में कहा कि ऊना से लेकर लखनऊ तक में गाय के नाम पर दलितों के साथ जो हिंसा हो रही है
वह स्पष्ट करता हैं कि पूरे देश में संघ परिवार सुनियोजित तरीके से दलितों पर हमले करवा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से राजधानी में दलित कर्मचारियों के साथ गाय के नाम पर मारपीट की गई उससे यह समझा जा सकता है कि जिस प्रदेश में दादरी में गाय के नाम पर अखलाक की हत्या संघी गुण्डों द्वारा हत्या कर दी गई हो वहां के दलित और मुस्लिम समुदाय के अंदर कितना खौफ होगा।
यूपी में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा के साथ यूपी का देश में दलित व महिला हिंसा में सबसे आगे होना यह साबित करता है कि यहां सांप्रदायिक-सामंती तत्वों को सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त है।
रिहाई मंच ने गुजरात में दलित हिंसा के खिलाफ चल रहे आंदोलन को अपना समर्थन दिया। नेताओं ने कहा कि रिहाई मंच तकरोही का जल्द ही दौरा करेगा।

गूगल ने पीएम मोदी को दुनिया के टॉप 10 क्रिमिनल में दिखाया,सही कहा गूगल क्योंकि गूगल हमेशा सही होता है





भाजपा नेता और याची अधिवक्ता एडवोकेट सुशीकुमार मिश्रा ने गूगल के खिलाफ इलाहबाद कोर्ट में गूगल के खिलाफ इस मामले में याचिका दायर की थी। इसमें उनका कहना है कि चार जून को गूगल ने टॉप टेन क्रिमिनल ऑफ वर्ल्ड की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो डाल दी थी।

इसी दिन गूगल ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर माफी मांग ली थी। गूगल संस्थापक लैरी पेज का माफीनामा भी गूगल के सर्च इंजन पर पड़ा हुआ है, लेकिन अभी तक कंपनी ने प्रधानमंत्री की फोटो नहीं हटाई है। इससे देश-दुनिया में उनकी छवि धूमिल हो रही है।

सुशील मिश्रा ने याचिका में लिखा है कि जब उन्होनें गूगल से अपराधियों की सूची में से पीएम मोदी का नाम हटाने का आग्रह किया तो गूगल की तरफ से कोई जवाब नहीं आया।

अर्जी को स्वीकार करते हुए प्रभारी जज महताब अहमद ने गूगल सर्च इंजन मल्टीनेशनल कैलीफोर्निया के संस्थापक लैरी पेज, सीईओ सुंदर पिचाई, इंडिया हेड राजन आनंदन के खिलाफ नोटिस जारी किया। इससे पहले सुशील मिश्र ने सिविल लाइंस पुलिस को तहरीर दी थी। 

गुजरात में नया मुख्यमंत्री - अमित शाह??? Amit Shah will replace Anandiben Patel as Gujarat CM, say sources: Arvind Kejriwal

New Delhi: BJP President Amit Shah "will" replace Anandiben Patel as the state's Chief Minister, Arvind Kejriwalclaimed on Saturday, quoting "sources".
"Gujarat fed up of Anandiben Patel's corrupt mal-administration. Huge support for AAP. Sources- BJP will replace Anandiben wid Amit Shah (sic)," the Delhi Chief Minister, who is touring the western state, tweeted.









Kick-starting AAP's campaign for the 2017 Gujarat assembly polls by visiting the Somnath Temple, the Aam Aadmi Party chief asked the people to get rid of "hooligans" and "corrupt" persons.
Addressing a gathering of farmers on the outskirts of Somnath city, he targeted the BJP governments at the Centre and the state.

आनंदीबेन को बनाया ‘बलि का बकरा’, गुजरात में खुद को नहीं बचा पाएगी बीजेपी: राहुल


नई दिल्ली: आनंदीबेन पटेल के गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटने संबंधी फैसला लेने के एक दिन बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि किसी को ‘बलि का बकरा’ बना देने से बीजेपी स्वयं को राज्य में नहीं बचा पाएगी क्योंकि राज्य के ‘जलने’ के लिए नरेंद्र मोदी का 13 साल का शासन जिम्मेदार है.

ट्वीट कर साधा निशाना
गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कहा, ‘गुजरात के जलने के लिए आनंदीबेन का दो साल का शासन नहीं, बल्कि मोदी शासन के 13 साल जिम्मेदार हैं.’ गुजरात की मुख्यमंत्री ने पद से हटने का फैसला लेते हुए कल कहा था कि अब समय आ गया है कि नया नेतृत्व जिम्मेदारी संभाले क्योंकि वह जल्द ही 75 साल की होने जा रही हैं.

गुजरात में दो दशकों से सत्ता से बाहर कांग्रेस

गुजरात में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस गुजरात के पंचायत चुनावों में ग्रामीण इलाकों में उसके अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित है. पार्टी पिछले दो दशकों से गुजरात में सत्ता से बाहर है.
राज्य में पाटीदार समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा है और मृत गाय की खाल निकालने के मामले को लेकर उना में लोगों के समूह ने दलित समुदाय के सात लोगों पर हमला किया था जिसके बाद दलित वहां प्रदर्शन कर रहे हैं.

आनंदीबेन को बचा रहा था पार्टी नेतृत्व- कांग्रेस
कांग्रेस ने आनंदीबेन के इस्तीफे पर कहा कि उन्हें काफी पहले ही यह कदम उठा लेना चाहिए था. उसने आरोप लगाया कि राज्य के दलितों और पाटीदार समुदाय से संबंधित मुद्दों से निपटने में उनकी विफलता को लेकर इन दोनों समुदायों में बढ़ रहे असंतोष के बावजूद पार्टी नेतृत्व उन्हें बचाता आ रहा था.

आनंदीबेन को राज्यपाल बनाना जख्मों पर नमक छिड़कने के बराबर- कांग्रेस
कांग्रेस के गुजरात मामलों के महासचिव गुरूदास कामत ने कहा कि अगर आनंदीबेन को किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जाता है या केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी जाती है तो यह दलितों और पाटीदार समुदाय के लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने के बराबर होगा.

गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने दिया इस्तीफा, पिछले दिनों उना में चार दलितों की मी से हुई पिटाई को लेकर आनंदीबेन पटेल सरकार की काफी किरकिरी हुई.




अहमदाबाद: गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि उन्हें आनंदीबेन पटेल का इस्तीफा मिल गया है, अब पार्टी संसदीय बोर्ड अगली कदम के बारे में फैसला लेगा. आनंदीबेन पटेल ने बीजेपी नेतृत्व से कहा है कि वह नवंबर में 75 साल की हो जाएंगी, इसलिए उससे दो महीने पहले ही उन्हें उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए.

सूत्रों के अनुसार नए मुख्यमंत्री की रेस में नितिन पटेल और विजय रूपाणी के नाम सबसे आगे चल रहे हैं. ये दोनों आनंदीबेन पटेल सरकार में मंत्री हैं.

पिछले दिनों उना में चार दलितों की मी से हुई पिटाई को लेकर आनंदीबेन पटेल सरकार की काफी किरकिरी हुई. दलितों ने रविवार को अहमदाबाद में विशाल रैली कर अपना आक्रोश जताया और राज्य सरकार को चेतावनी भी दी कि वो उना कांबेरहड के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान दलित युवाओं पर दर्ज मामले वापस ले, वरना दलित अपना आंदोलन और तेज करेंगे. पिछले साल पाटीदार आंदोलन को सही तरीके से संभाल न पाने के कारण भी आनंदीबेन पटेल को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था.

वहीं, कुछ वक्त से बीजेपी में यह आम राय बन रही है कि पार्टी में 75 पार कर चुके नेताओं को अन्य नेताओं को आगे आने के लिए मौका देना चाहिए. आनंदीबेन ने कहा है कि चूंकि गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और जनवरी माह में ही वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम का आयोजन होना है, इसलिए उन्हें समय रहते मुख्यमंत्री पद छोड़ने दिया जाए, ताकि नए सीएम को काम करने का मौका मिल सके.

इससे पहले, इस अघोषित नियम (75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं के लिए) के चलते ही पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला को इस्तीफा देना पड़ा था. आनंदीबेन मई 2014 में मुख्यमंत्री बनी थीं. उनका जन्म 1941 में हुआ था और इस साल 21 नवंबर को वे 75 साल की हो जाएंगी.

इस आयु सीमा को ध्यान में रखते हुए ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर और सरताज सिंह समेत कुछ अन्य मंत्रियों को राज्य मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था.

साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो अधिक आयु के कारण लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और यशवंत सिन्हा जैसे कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं को मंत्री पद नहीं दिया गया था.


उना घटना : बीजेपी MLA ने गोरक्षा के लिए दलितों की पिटाई को बताया जायज


नई दिल्ली/हैदराबाद : गुजरात के उना में गौरक्षा के नाम पर दलितों की पिटाई पर हैदराबाद के बीजेपी विधायक ने विवादित बयान दे दिया है. बीजेपी के विधायक ने गोरक्षा के नाम पर दलितों की पिटाई का समर्थन किय़ा है. हैदराबाद से बीजेपी विधायक राजा सिंह ने कहा है कि जो दलित गाय के मांस को ले जा रहा था उसकी जो पिटाई अच्छी बात है.
पार्टी ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया है
पार्टी ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया है. इससे पहले बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने इस घटना का खंडन किया है. गुजरात की मुख्यमंत्री भी घटना में घायलों से मुलाकात कर चुकी हैं. इस मामले में सियासत काफी गरमाई हुई है. कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी उना का दौरा कर चुके हैं. अब यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी उना जाने की तैयारी में हैं.
इस बयान ने मामले को और गरमा दिया है
इस बीच बीजेपी के विधायक के इस बयान ने मामले को और गरमा दिया है. विधायक राजा सिंह ने कहा है कि गोमांस ले जा रहे दलित लोगों की पिटाई जायज थी. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कई दलित भाई उनके साथ गोरक्षा के काम में कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं. यही नहीं राजा सिंह ने यह भी कहा कि वे गोरक्षा के लिए हर प्रयास करेंगे.
अठावले ने दलितों पर हमले की निंदा की थी
इतना ही नहीं राजा सिंह ने उन लोगों की भी निंदा की जो उना में दलितों की पिटाई की आलोचना कर रहे हैं. गौरतलब है कि पिछले ही सप्ताह केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास अठावले ने दलितों पर हमले की निंदा की थी. उन्होंने कहा था कि पीड़ित मरी हुई गाय की खाल निकालने के प्रयास में थे. उनपर हमला गलत था.
विधायक से लिखित जवाब भी मांगा जाएगा
इस बीच राजा सिंह के बयान के बाद प्रदेश बीजेपी की ओर से पल्ला झाड़ने के साथ ही कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं. प्रदेश बीजेपी के पदाधिकारी के अनुसार इस बारे में जांच की जाएगी और जरूरी हुआ तो विधायक से लिखित जवाब भी मांगा जाएगा.

वायरल सच: क्या मोदी सरकार दे रही है 2 लाख रूपये तक का इलाज़ मुफ्त?



प्रधानमंत्री मोदी की सरकार एक बार फिर अपनी अनूठी योजना को लेकर चर्चा में है. इस योजना का नाम है ‘अमृतम’. पीएम नरेंद्र मोदी की इस ड्रीम योजना में ये दावा किया जा रहा है कि हर व्यक्ति का 2 लाख रुपए तक का इलाज राहत फंड से होगा और आजीवन दवाओं का खर्च भी सरकार उठाएगी.
दावे के मुताबिक कई बड़े अस्पतालों में इसके लिए अलग से काउंटर बनाए गए हैं. इतना ही नहीं अगर किसी 12 साल से कम उम्र के बच्चे को कोई तकलीफ है जैसे दिल में छेद, कटे होंठ या भैंगापन है तो उसका ऑपरेशन भी बिल्कुल मुफ्त में किया जाएगा.
हालांकि जब एबीपी न्यू़ज़ ने इस दावे की जमीनी हकीकत पता करनी चाही तो कुछ और ही सच सामने आया. देश की राजधानी दिल्ली के दो बड़े अस्पताल ‘जीबी पंत’ और ‘लोक नायक’ अस्पताल प्रशासन को केन्द्र सरकार की ऐसी किसी योजना की कोई खबर नहीं थी. आगे की खोजबीन में पता चला कि ये योजना गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने शुरू की थी जो सिर्फ गुजरात में ही है. ‘अना’ नाम से गुजरात में योजना जरूर चल रही है लेकिन डायबिटीज और ब्लडप्रेशर के मरीजों को मुफ्त में दवा मुहैया कराने वाली योजना अलग है जिसका अमृतम योजना से कोई लेना-देना नहीं है. ठीक इसी तरह 12 साल के कम उम्र के बच्चों का इलाज भी स्कूल स्वास्थ्य योजना के तहत निशुल्क किया जाता है.

साफ है कि केंद्र सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है. ऐसी योजना सिर्फ गुजरात में है लेकिन एक राज्य की तीन अलग-अलग योजनाओं को आपस में जोड़कर ऐसा दिखाया जा रहा कि मानों पूरे देश में गरीबों के मुफ्त इलाज की योजना चलाई जा रही हो जो कि सच नहीं है. फिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या ये झूठी लोकप्रियता हासिल करने के लिए है? देश में खराब स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर ऐसे दावों से जनता और केन्द्र सरकार दोनों को सावधान रहने की जरूरत है. एबीपी न्यूज की पड़ताल में वायरल हो रहा ये दावा आधा सच साबित हुआ है.

महामंडलेश्वर ने किया अपनी शिष्या को किया गर्भवती

धर्म के नाम पर पाखंड करने वाले धर्म गुरूओं के पोल आए दिन खुलते ही रहते हैं। धर्म गुरू धर्म के नाम पर कभी ठगी तो कभी यौन शोषण की वजह से आए दिन चर्चाओं में रहते हैं। ताजा मामाला हरिद्वार के अग्नि अखाड़ा के एक महामंडलेश्वर से जुड़ा है। जहां बाबा की शिष्या ने उनपर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने कहा है कि वह बाबा के बच्चे की मां बनने वाली है। बाबा रसानंद की शिष्या तेजेंद्र कौर ने खुद को संत की विधवा बताते हुए अपने पेट में संत का बच्चा होने का दावा किया है।
उसने यह भी दावा किया बाबा ने उसके साथ बाकायदा शादी की थी। तेजेंद्र के मुताबिक शादी के बाद बाबा से उसके संबंध बने और वह गर्भवती हो गई। जल्द ही उसकी डिलीवरी होनी वाली है। हरिद्वार के प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजेंद्र कौर ने बताया कि वह बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने को भी तैयार है।
साथ ही उसने ये भी कहा कि बच्चा होने के उसके दावे की जांच के लिए कोई भी डीएनए टेस्ट करवा सकता है। बता दें कि महामंडलेश्वर बाबा रसानंद की इसी साल उज्जैन में सिंहस्थ कुम्भ के दौरान रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई थी।

बाबा साहब अंबेडकर का नाम रटने को मजबूर है BJP-RSS, जबकि मिलती नहीं है विचारधारा



नई दिल्ली. मोदी सरकार अंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष में कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 26 नवंबर 2015 को बड़े पैमाने पर संविधान दिवस मनाने का ऐलान किया था। अलग-अलग मंत्रालय लेख-भाषण प्रतियोगिता के साथ समानता-दौड़ आदि का भी आयोजन किया था। सवाल उठता है कि अचानक राष्ट्रीय स्वयंसेवक और भारतीय जनता पार्टी के भीतर बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के प्रति श्रद्धा और प्रेम भाव क्यों  उमड़ा। 
 
राष्ट्र दरअसल कल्पना का ख़ास ढंग का संगठन है। इसलिए प्रतीकों का काफ़ी महत्व होता है। जिन प्रतीकों के माध्यम से हम अपनी राष्ट्र की कल्पना को मूर्त करते हैं, उनकी जगह नए प्रतीक प्रस्तुत करके एक नई कल्पना को यथार्थ करने का प्रयास होता है। तो हम उस राजनीतिक दल के संविधान प्रेम को कैसे समझें जिसकी पितृ-संस्था, यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उस पर मात्र इसलिए अपना विश्वास जताया था जिससे उस पर गाँधी की हत्या के बाद लगा प्रतिबंध हटाया जा सके। आख़िर यही शर्त सरदार पटेल ने उसके सामने रखी थी। वरना उसका ख़्याल था कि मनुस्मृति से बेहतर संविधान क्या हो सकता है! याद रहे कि इस संगठन ने तिरंगा ध्वज को भी मानने से इनकार किया था यह कहकर कि तीन रंग अशुभ और अस्वास्थ्यकर होते हैं। इस तिरंगे के चक्र पर इस संघ और दल के एक वरिष्ठ नेता, अब मूक मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी ने यह कहकर ऐतराज़ जताया था कि यह बौद्ध धर्म का प्रतीक है। फिर ये सबके सब संविधान और तिरंगे के प्रेमी कैसे हो गए?
 
भारतीय संविधान की आत्मा है बराबरी और इंसाफ़. आंबेडकर ने इस संविधान के बनने के बहुत पहले कहा था कि विधायिका जनता का प्रतिनिधित्व करती है, न कि मात्र बुद्धिजीवियों का। उनका आशय पढ़े-लखे लोगों को ही प्रतिनिधित्व का अधिकार देने से था। भारतीय संविधान जनता को संप्रभु मानता है और भारतीय राज्य अपनी संप्रभुता उसी जनता से ग्रहण करता है। यह ऐसा विलक्षण संविधान है जिसने एक ही बार हर वयस्क को मताधिकार दिया, उसमें किसी तरह की कोई शर्त नहीं लगाई। ऐसा करके उसने साधारण भारतीय जन की विवेक क्षमता पर भरोसा जताया। क्या जनतंत्र जैसे आधुनिक विचार का अभ्यास अनपढ़ जनता कर पाएगी? साल-दर-साल उस जनता ने इस विश्वास को सही साबित किया। इस तरह एक तरफ़ जहां संविधान जनता के लिए एक कसौटी है तो दूसरी ओर जनता संविधान की कसौटी है।  इस बात को ध्यान में रखते हुए कम से कम तीन राज्य सरकारों की कोशिश देख लें जो उन्होंने स्थानीय निकायों के चुनाव में जनता की भागीदारी को सीमित करने के लिए की। एक ख़ास दर्जे तक पढ़े होने पर ही जन प्रतिनिधि बनने की योग्यता होगी, इस तरह का क़ानून लाने का प्रयास गुजरात, राजस्थान और हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी की सरकारें कर रही हैं। यह भारतीय संविधान की मूल आत्मा के ख़िलाफ़ है। ये सरकारें जनता के एक बड़े हिस्से को जनता का प्रतिनिधित्व करने के अयोग्य ठहरा रही हैं। 
 
आज़ादी के बाद से साधारण जन का ऐसा अपमान शायद ही कभी किया गया हो। उसी तरह आज के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने सबको जबरन मतदान करने संबंधी क़ानून भी पेश किया था। यह भी ध्यान रखें कि इसी प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गुजरात में गाँवों को इसके लिए उत्साहित किया जा रहा था कि वे बिना चुनाव के समरस ग्राम-पंचायतें बना लें। बिना चुनाव के गाँवों में सर्व-सहमति से पंचायतें जहाँ बनेंगी, उन गाँवों को अधिक आर्थिक अनुदान मिलेगा, यह प्रलोभन भी दिया गया। एक तरफ़ जबरन मतदान, दूसरी ओर मतदान रहित ग्राम-पंचायत चुनाव, तीसरी तरफ़ जन प्रतिनिधि बनने के रास्ते में रोड़े अटकाना, यह सब उस भारतीय जनता पार्टी की सरकारें कर रही हैं जो आज धूमधाम से संविधान का उत्सव मनाना चाहती है। 
 
इसी सरकार के वित्त मंत्री राज्यसभा को ग़ैरज़रूरी ठहरा रहे हैं क्योंकि वह उनकी हर पेशकश पर अपनी मुहर नहीं लगा रही है। याद रहे कि इसी दल की सरकार ने राजस्थान में उच्च न्यायालय के सामने हिंदुओं के आदि विधिवेत्ता मनु की प्रतिमा भी लगवा दी है। एक है वर्तमान की मजबूरी, यानी संविधान की रक्षा के लिए बना न्यायालय और दूसरा है भविष्य का लक्ष्य, यानी मनुस्मृति का भारत। 
 
2015 एक ऐसे साल के रूप में याद किया गया जब भारत के अल्पसंख्यक सबसे अधिक असुरक्षित महसूस कर रहे थे। भारत के संविधान की बुनियादी प्रतिज्ञा अल्पसंख्यकों के सारे अधिकारों की हिफ़ाज़त और उन्हें मुल्क पर बराबरी का हक़ देने की है। आज दिन ऐसा है कि उनके भीतर की इस असुरक्षा की बात करने को देशद्रोह जैसा बड़ा अपराध भी घोषित कर दिया गया है। संविधान आज उनके हाथों में है जो बरसों भारत को हिंदू राष्ट्र में बदल देने का सपना देखते रहे थे। वे जब संविधान का जश्न मनाएं, तो जश्न दरअसल उस पर क़ब्ज़े का है।
 
ये पोस्ट 26 नवंबर 2015 को बीबीसी डॉट कॉम पर छपे अपूर्वानंद जी के लेख का संशोधित रुप है।