गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने दिया इस्तीफा, पिछले दिनों उना में चार दलितों की मी से हुई पिटाई को लेकर आनंदीबेन पटेल सरकार की काफी किरकिरी हुई.




अहमदाबाद: गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि उन्हें आनंदीबेन पटेल का इस्तीफा मिल गया है, अब पार्टी संसदीय बोर्ड अगली कदम के बारे में फैसला लेगा. आनंदीबेन पटेल ने बीजेपी नेतृत्व से कहा है कि वह नवंबर में 75 साल की हो जाएंगी, इसलिए उससे दो महीने पहले ही उन्हें उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए.

सूत्रों के अनुसार नए मुख्यमंत्री की रेस में नितिन पटेल और विजय रूपाणी के नाम सबसे आगे चल रहे हैं. ये दोनों आनंदीबेन पटेल सरकार में मंत्री हैं.

पिछले दिनों उना में चार दलितों की मी से हुई पिटाई को लेकर आनंदीबेन पटेल सरकार की काफी किरकिरी हुई. दलितों ने रविवार को अहमदाबाद में विशाल रैली कर अपना आक्रोश जताया और राज्य सरकार को चेतावनी भी दी कि वो उना कांबेरहड के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान दलित युवाओं पर दर्ज मामले वापस ले, वरना दलित अपना आंदोलन और तेज करेंगे. पिछले साल पाटीदार आंदोलन को सही तरीके से संभाल न पाने के कारण भी आनंदीबेन पटेल को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था.

वहीं, कुछ वक्त से बीजेपी में यह आम राय बन रही है कि पार्टी में 75 पार कर चुके नेताओं को अन्य नेताओं को आगे आने के लिए मौका देना चाहिए. आनंदीबेन ने कहा है कि चूंकि गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और जनवरी माह में ही वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम का आयोजन होना है, इसलिए उन्हें समय रहते मुख्यमंत्री पद छोड़ने दिया जाए, ताकि नए सीएम को काम करने का मौका मिल सके.

इससे पहले, इस अघोषित नियम (75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं के लिए) के चलते ही पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला को इस्तीफा देना पड़ा था. आनंदीबेन मई 2014 में मुख्यमंत्री बनी थीं. उनका जन्म 1941 में हुआ था और इस साल 21 नवंबर को वे 75 साल की हो जाएंगी.

इस आयु सीमा को ध्यान में रखते हुए ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर और सरताज सिंह समेत कुछ अन्य मंत्रियों को राज्य मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था.

साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो अधिक आयु के कारण लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और यशवंत सिन्हा जैसे कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं को मंत्री पद नहीं दिया गया था.