भाजपा, कांग्रेस , आम आदमी पार्टी , बसपा और सब एक ही हैं
दलितों और पिछड़ों की मसीहा बनने वाली यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री
मायावती ने अपनी सरकार के कार्यकाल में बिरादरी की गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्शा.
दरअसल नेशनल हेल्थ मिशन (NRHM ) के तहत राज्य की गरीब महिलाओं को भेजी जाने वाली दवाइयों
के नाम पर करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा किया. जिसके चलते गांव की दलित और पिछड़ी जाति
की गरीब महिलाओं को सरकार के प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों से मुफ्त में बांटी जाने वाली
दवाइयां ही नहीं दी गयी.
आयरन फोलिक टेबलेट ही नहीं खरीदी
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने देश की गरीब जनता के तहत अपनी
नेशनल हेल्थ मिशन योजना चला रखी है. जिसका मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं में पायी
जाने वाली एनिमा की कमी को दूर करने के लिए आयरन फोलिक टेबलेट ‘ IFA ‘ ख़रीदे जाने
का जो बजट राज्य सरकार को भेजा था. उसकी खरीद सिर्फ कागजों पर ही की गयी. जिसके चलते
दलित और पिछड़ी जाति की गर्भवती महिलाओं को मायावती के ही कार्यकाल में मुफ्त में दी
जाने वाली दवाइयां ही नहीं बांटी गयीं.
सूत्रों के मुताबिक महिलाओं को बांटी जाने वाली यह दवा गर्भवती
महिलाओं को इस लिए डॉ खाने को बोलते हैं ताकि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ्य रहें.
बताया जाता है कि बसपा की सरकार के राज में मायावती के सबसे करीबी मंत्री रहे बाबू
सिंह कुशवाहा ने अपने चहेती कंपनियों से इस दवा को खरीदने के नाम पर सूबे के मुख्य
चिकित्सा अधिकारियों को बिना दवा लिए ही भुगतान करने के आदेश फोन पर दे दिए. नतीजतन
कागजों की लिखा-पढ़ी में तो दवा खरीदी गयी, लेकिन गांव की गरीब गर्भवती दलित और पिछड़ी
महिलाओं को दवा बांटी ही नहीं गयी.