संसद में रोहित वेमूला सहित जेएनयू मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों का बहुत तीखे अंदाज में जवाब देने वाली केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के भाषण को काफी सराहा जा रहा है।
जिस आक्रामक लहजे और तल्ख जबान के साथ उन्होंने रोहित और जेएनयू मुद्दे पर विपक्ष के सभी प्रहारों को भोथरा किया उससे प्रधानमंत्री मोदी भी संतुष्ट नजर आए। उन्होंने स्मृति की तारीफ करते हुए ट्वीटर पर उनका पूरा भाषण शेयर भी किया।
लेकिन लोकसभा में स्मृति ईरानी जिन दावों के आधार पर विपक्ष पर भारी पड़ती नजर आई थी अब उन दावों पर ही सवालिया निशान खड़ा हो गया है। सवाल खड़ा करने वाले हैं रोहित के दोस्त जो उसकी मौत के बाद मौके पर ही मौजूद थे।
नए दावों के बाद स्मृति के साथ साथ तेलंगाना पुलिस भी सवालों के घेरे में आ गई है, क्या उसने हाइकोर्ट को गलत जानकारी दी। क्योंकि उसी जानकारी के आधार पर ही स्मृति ने रोहित की मौत को लेकर संसद में नए खुलासे किए थे।
जिस आक्रामक लहजे और तल्ख जबान के साथ उन्होंने रोहित और जेएनयू मुद्दे पर विपक्ष के सभी प्रहारों को भोथरा किया उससे प्रधानमंत्री मोदी भी संतुष्ट नजर आए। उन्होंने स्मृति की तारीफ करते हुए ट्वीटर पर उनका पूरा भाषण शेयर भी किया।
लेकिन लोकसभा में स्मृति ईरानी जिन दावों के आधार पर विपक्ष पर भारी पड़ती नजर आई थी अब उन दावों पर ही सवालिया निशान खड़ा हो गया है। सवाल खड़ा करने वाले हैं रोहित के दोस्त जो उसकी मौत के बाद मौके पर ही मौजूद थे।
नए दावों के बाद स्मृति के साथ साथ तेलंगाना पुलिस भी सवालों के घेरे में आ गई है, क्या उसने हाइकोर्ट को गलत जानकारी दी। क्योंकि उसी जानकारी के आधार पर ही स्मृति ने रोहित की मौत को लेकर संसद में नए खुलासे किए थे।
संसद में क्या दावा किया था स्मृति ईरानी ने
लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देते समय बुधवार को स्मृति ईरानी ने कुछ नए तथ्यों का खुलासा किया था। स्मृति ने तेलंगाना पुलिस की हाइकोर्ट में दी गई रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि पुलिस को उसकी मौत की जानकारी 17 जनवरी की शाम 7.20
पर मिल गई थी।
जिसके बाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची तो देखा की उसका कमरा खुला हुआ था। रोहित का शव भी फंदे से उतारकर नीचे मेज पर रखा हुआ था। स्मृति ने पुलिस के दस्तावेजों के आधार पर दावा किया कि आक्रोशित छात्रों ने पुलिस को उसके शव के नजदीक ही नहीं जाने दिया।
दावा ये भी था कि सुबह 6.30 तक पुलिस और डॉक्टर रोहित के शव की जांच नहीं कर सके। नए दावे के साथ स्मृति ने सवाल खड़ा किया था कि उस भीड़ में ऐसा कौन था जिसने बिना किसी चिकित्सकीय परीक्षण के रोहित को मृत घोषित कर दिया।
स्मृति ने कहा जानबूझकर राजनीति करने के लिए एक छात्र को मौत के मुंह में धकेल दिया गया। राजनीतिक दलों ने उसके शव को भी पॉलीटिकल टूल की तरह इस्तेमाल किया।
जिसके बाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची तो देखा की उसका कमरा खुला हुआ था। रोहित का शव भी फंदे से उतारकर नीचे मेज पर रखा हुआ था। स्मृति ने पुलिस के दस्तावेजों के आधार पर दावा किया कि आक्रोशित छात्रों ने पुलिस को उसके शव के नजदीक ही नहीं जाने दिया।
दावा ये भी था कि सुबह 6.30 तक पुलिस और डॉक्टर रोहित के शव की जांच नहीं कर सके। नए दावे के साथ स्मृति ने सवाल खड़ा किया था कि उस भीड़ में ऐसा कौन था जिसने बिना किसी चिकित्सकीय परीक्षण के रोहित को मृत घोषित कर दिया।
स्मृति ने कहा जानबूझकर राजनीति करने के लिए एक छात्र को मौत के मुंह में धकेल दिया गया। राजनीतिक दलों ने उसके शव को भी पॉलीटिकल टूल की तरह इस्तेमाल किया।