नई दिल्ली. देश में सामाजिक और जातिगत आधार पर चल रही आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था पर भले ही संघ की राय कुछ भी हो, लेकिन मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा।
राज्यसभा में संघ की ओर से आरक्षण संबन्धी आ रहे बयानों पर बिफरे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने सोमवार को यह मुद्दा उठाया, तो केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को संघ की राय को दरकिनार करके सरकार की ओर से सफाई देनी पड़ी। सदन में जेटली ने कहा कि संविधान में सामाजिक और जातिगत आधार पर आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था में बदलाव का कोई विचार नहीं है और यह व्यवस्था जारी रहेगी।
हालांकि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बयानों का बचाव करने का प्रयास करते हुए यह भी कहा कि संघ के प्रस्ताव में भी ऐसी कोई बात नहीं कही गई है जो सपा या बसपा समझ रहे हैं। संघ ने भी किसी ने आरक्षण समाप्त करने को नहीं कहा है।
राजनीतिक नहीं, संवैधानिक मुद्दा
मायावती ने भी उठाए सवाल
इसी तर्ज पर बसपा की मायावती ने भी आरएसएस की ओर से लगातार आ रहे आरक्षण संबन्धी बयानों से मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। मायावती का कहना था कि ऐसे बयानों से लगता है कि सरकार सामाजिक स्थिति के बजाय आर्थिक स्थिति को आरक्षण का मानदंड बनाने पर विचार कर रही है।
इसके लिए मायावती ने शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने की संविधान में कही गई बातों का जिक्र भी किया और कहा कि इसके साथ छेड़छाड़ करके इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।
संघ ने क्या कहा था ?
जाट आरक्षण को लेकर गरमाई राजनीति के बीच राजस्थान के नागौर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के बाद संघ ने एक बार फिर आरक्षण का मुद्दा उठाया, जिसमें संघ के सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा था कि समाज के अमीर लोगों को उन लोगों के लिए आरक्षण छोड़ देना चाहिए, जिन्हें इसकी जरूरत है।